फिर एक अहिल्या – 3
यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है: ← फिर एक अहिल्या – 2 → फिर एक अहिल्या – 4 “फिर तो एक ही चारा बचा है और मुझे पता नहीं कि यह आप को पसंद आएगा या नहीं.” मैंने झिझकते-झिझकते कहा. “अरे! बोल भी दीजिये …” आवाज़ में सत्ता की गूंज बराबर थी. “नाड़ा काट … Read more