किरायेदार-4

किरायेदार-4 लेखिका : उषा मस्तानी उसकी आँखों से आनन्द चमक रहा था। लंड मुँह से बाहर निकाल कर बोली- मुँह में चूसने में मज़ा आ गया। एक बार और चोदिये, ऊ उह उइ उई एक बार और चोदिये ना ! बड़ा अच्छा लग रहा है। इस बार मैंने उसे लेटते हुए अपनी गोद में लोड़े … Read more

किरायेदार-7

किरायेदार-7 मैं सोमवार रात को 10 बजे आया, सुरेखा और दिन की तरह 11 बजे आकर मेरी गोद में नंगी बैठ गई और मुझसे चिपकते हुए बोली- आज तो चोदोगे न? मैंने निप्पल उमेठते हुए कहा- क्यों नहीं। सुरेखा से मैंने पूछा- तुम्हारी गांड में भी डाल दूँ? तुम बता रही थीं कि अरुण जब … Read more

अंगूर का दाना-7

अंगूर का दाना-7 प्रेम गुरु की कलम से ‘अम्मा बापू का चूसती क्यों नहीं। अनार दीदी बता रही थी कि वो तो बड़े मजा ले ले कर चूसती है। वो तो यह भी कह रही थी कि मधुर दीदी भी कई बार आपका…?’ कहते कहते अंगूर रुक गई। मैं भी कितना उल्लू हूँ। इतना अच्छा … Read more

मेरा भतीजा

मेरा भतीजा प्रेषिका : तमन्ना कुरैशी मेरा नाम शांति (बदला हुआ) है। मेरी उम्र 32 साल है, रंग सावला, लम्बाई 5″4, और थोड़ी मोटी लेकिन बराबर फिट। मेरे गाँव का नाम रतनपुर है। मेरी शादी, जब मैं 18 साल की तब ही हो गई थी। मेरे परिवार में मेरी दो बड़ी बहनें और मुझसे छोटा … Read more

छप्पर फाड़ कर-1

छप्पर फाड़ कर-1 सुगंधा को वापस उसके छात्रावास छोड़ने के बाद मैं सभी देवों से इस बार बचा लेने की प्रार्थना करते हुए अपने कमरे पर लौटा (पढ़िए कहानी का पिछला भाग छुपाए नहीं छुपते)। नेहा मेरे कमरे में फ़ोल्डिंग बेड पर पैर लटकाकर बैठी हुई थी और ‘कामायनी’ का सस्वर पाठ कर रही थी। … Read more

दिल्ली से चण्डीगढ़

दिल्ली से चण्डीगढ़ मैं जीत शर्मा फिर से आपके सामने एक कहानी ले कर आया हूँ। यह कहानी मुझे मेरी एक महिला मित्र ने भेजी है, उम्मीद है कि आप सबको पसंद आएगी। तो दोस्तो कहानी पेश है मेरी दोस्त की जुबानी। मैं शिप्रा हूँ, दिल्ली में एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में काम करती हूँ। अपने … Read more

अंगूर का दाना-8

अंगूर का दाना-8 प्रेम गुरु की कलम से मैं अपने विचारों में खोया था कि अंगूर की रस घोलती आवाज सुनकर चौंक ही पड़ा। मैंने एक चुम्बन उसके नितम्बों पर फिर से लेते हुए कहा- अंगूर ऐसे नहीं तुम पेट के नीचे एक तकिया लगा कर अपने नितम्ब थोड़े से ऊपर उठा लो और अपनी … Read more

फाड़िए मगर प्यार से

फाड़िए मगर प्यार से पुरुष को यदि कोई स्त्री आसानी से हासिल हो जाए तो वो जल्द ही उससे ऊब जाता है। जो स्त्री पुरुष को जितना ज्यादा तरसाती है पुरुष उसको हासिल करने के लिए उतना ही ज्यादा लालायित होता जाता है। नेहा के साथ मेरे अधूरे संभोग ने उसे पाने की मेरी इच्छा … Read more

लण्ड की प्यासी-2

लण्ड की प्यासी-2 प्रेषक : सुनील कश्यप मैं कुछ देर तक उसके होंठों को चूमता रहा और चूचियों को दबाता रहा और वह बस ऊम्म्म…. उफ्फ…उम्म की आवाजें निकालती रही। फिर मैंने उसके टॉप को और उसकी जींस को उसके बदन से अलग किया। उसने काली ब्रा-पैंटी पहन रखी थी जो उसके गोरे बदन पर … Read more

किरायेदार-9

किरायेदार-9 लेखिका : उषा मस्तानी रजनी उठी और उसने मुस्करा कर मुझे देखा और जमीन पर बैठते हुए मेरा कुरता ऊपर उठाकर लोड़ा मुँह में ले लिया और एकाग्रता से लोड़ा चूसने लगी। कुछ देर बाद मैंने उसे हटा दिया और मुंडेर पर हाथ रखकर घोड़ी बना दिया। उसने टांगें फ़ैला ली थीं, चूत पीछे … Read more

चूत की आग के लिए मैं क्या करती-8

चूत की आग के लिए मैं क्या करती-8 प्रेषिका : सुरभि तिवारी सुनील आ गया। मैंने उन दोनों का परिचय करवाया। खाना बना हुआ था, हमने साथ बैठ कर खाना खाया। बात करते हुए मैंने सुनील से कहा- सुनीता मेरी अच्छी दोस्त है, इसके पति सेक्स नहीं करते हैं ठीक से इसके साथ ! सुनील- … Read more

मेरी मुनिया उसका पप्पू-2

मेरी मुनिया उसका पप्पू-2 लेखक : जीत शर्मा वो अचानक बेड से उठा और कमरे से बाहर जाने लगा। मैंने सोचा शायद मज़ाक कर रहा है। अभी वापस आकर मुझे अपने आगोश में ले लेगा। मैं इसी तरह बेड पर पड़ी रही। एक हाथ से अपने बूब्स मसल रही थी और एक हाथ से अपनी … Read more

किरायेदार-8

किरायेदार-8 आधे घंटे में हम घर पहुँच गए। भाभी हम दोनों को देखकर बोलीं- रजनी क्या हो गया था? तेरे होटल से फोन आया था, तीन लड़कियाँ धंधा करते हुए पकड़ी गई हैं, उनमें तू भी है। राकेश बीच मैं बोल पड़ा- एसा कुछ नहीं था, होटल में दो लड़कियाँ पकड़ी गईं थी, यह बहुत … Read more

मेरे पड़ोसी की बीवी और साली-1

मेरे पड़ोसी की बीवी और साली-1 यह सच्ची कहानी उस समय की है जब मैं कानपुर में रहता था, मैं थोड़ा बहुत तंत्र मंत्र के बारे में भी यकीन रखता हूँ। मैं कानपुर में एक कम्पनी में इन्जीनियर था। मैं 29 वर्ष का एक गोरा छः फ़ीट का हृष्ट पुष्ट जवान हूँ। शहर में ही … Read more

उसका मेरा रिश्ता-1

उसका मेरा रिश्ता-1 प्रेषिका : निशा भागवत जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी तब मैं राहुल से बहुत प्यार करती थी। मेरी एक हमराज सहेली भी थी विभा… वो मेरी राहुल से मिलने में बहुत मदद करती थी। एक तो वो अकेली रहती थी और वो मेरे अलावा किसी से इतनी घुली मिली भी नहीं … Read more