नौकरी में मस्ती-3

नौकरी में मस्ती-3 प्रेषक : विक्रम शर्मा फिर घोड़ी बना कर उसके मम्मे दबाते हुए उसकी चूत में मैंने अपना सारा माल निकाल दिया और उसके ऊपर लेट गया। हम दोनों की ऐसी हालत हो गई थी कि हमारा हिलने का भी मन नहीं कर रहा था। फिर हम दोनों पास में लेटे-लेटे कब सो … Read more

किरायेदार-3

किरायेदार-3 सुरेखा की तरफ देखती हुई नर्स बोली- तू भी अपनी चूत साफ़ रखा कर ! झांटे देख कितनी बड़ी बड़ी हो रहीं हैं। सन्डे की सन्डे झांटे साफ़ करने की क्रीम लगा कर डेटोल से चूत साफ़ करा कर। आँख दबाती हुई नर्स बोली- तू भी कम नहीं लग रही है, डलवाती होगी तभी … Read more

कम्पकपी

कम्पकपी कुलजीत पंजाब का एक बड़े जमींदार का गबरू जवान बेटा था जो बम्बई शहर में रह रहा था। आजादी से कुछेक साल पहले के सावन के दिन थे, रोज बारिश हो जाती थी, खिड़की से बाहर नीम के पत्ते भीग रहे थे, सागवान के गद्देदार पलंग पर एक लड़की कुलजीते के साथ लिपटी हुई … Read more

एक रात मां के नाम-1

एक रात मां के नाम-1 मुक्ता बेंजामिन ने यहीं से यानि गोवा (पंजिम) से ही अपने मेल में अपनी एक दिलचस्प कहानी भेजी है, उनका कहना है कि मैंने ये सब अपनी आँखों से देखा है। वे आजकल यही रहती हैं, उन्होंने यह कहानी अंग्रेजी में भेजी थी जिसका हिन्दी अनुवाद करके मैं आपकी सेवा … Read more

गंधर्व विवाह

गंधर्व विवाह प्रेषक : अन्नू निशा मेरी एक मात्र लंगोटिया दोस्त है। एक दिन की बात है, जब मैं निशा के बुलाने पर उसके घर गया तो उसके घर वाले कहीं बाहर गए हुए थे। घर में हम दोनों ही अकेले थे, उसके जान-पहचान के कोई बाबा उसके घर पर आये हुए थे। निशा बोली- … Read more

छैल छबीली-2

छैल छबीली-2 कहानी का पिछ्ला भाग : छैल छबीली-1 उसके पति शाम को मेरे से मिले, फिर स्नान आदि से निवृत हो कर दारू पीने बैठ गये. लगभग ग्यारह बज रहे थे. मैं अपनी मात्र एक चड्डी में सोने की तैयारी कर रहा था. तभी दोनों मियाँ बीवी के झगड़े की आवाजें आने लगी. मियाँ … Read more

चूत की आग के लिए मैं क्या करती-9

चूत की आग के लिए मैं क्या करती-9 फिर हम लेटे लेटे बात करने लगे, मैंने कहा- कल और मजा आएगा, कल सुशील भी आ जायेगा। सुनीता- अब यह सुशील कौन है? मैंने कहा- यहीं पास में रहता है, काफी अच्छा लड़का है और हम तीनों खेल चुके हैं। सुनील- हाँ सुनीता जी, काफी अच्छा … Read more

कॉलेज की साथी

कॉलेज की साथी प्रेषक : नवजोत सिंह दोस्तो, मैं भी अन्तर्वासना के लाखों चाहने वालों में से एक हूँ। मैंने यहाँ सारी कहानियाँ पढ़ी हैं, हर कहानी को पढ़ने के बाद में अपने लंड से पानी जरूर निकालता हूँ। मेरा नाम है राजू, मेरा कद 6 फीट है और पंजाब का रहने वाला हूँ। यह … Read more

मेरे अंकल

मेरे अंकल आप सबने मेरी कहानी मेरे साथ पहली बार पढ़ी है उसके लिए मुझे बहुत सारे मेल आये, मुझे बहुत अच्छा लगा, पर मैं सबके मेल का जवाब नहीं दे पाई उसके लिए में माफी चाहती हूँ। अब मैं अपनी कहानी पर आती हूँ। वो ठण्ड के दिन थे, मैं अपनी मौसी के घर … Read more

Bhai Bhai – Part I

Bhai Bhai – Part I Ye meri kahani meri un behno ko samarpt hai jo apni chut mein apne bhaion ka lund pasand karti hain. Mujhe mere bhai behan apne vichar [email protected] par likh bhejen. Aapka behnchod bhai. “Yaar aaj maine apni behan Alka ko apne room mein ungli se chudai karte huye dekha. Mujhe … Read more

कुंवारी तृप्ति

कुंवारी तृप्ति अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। मेरा नाम प्रतीक है, मेरी उम्र 21 साल है, मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मैं सेक्स का बहत शौक़ीन हूँ। मेरे लण्ड आकार 7 इंच, काफी मोटा है जो किसी लड़की को अच्छी तरह से संतुष्ट कर दे। मैं आज आपको एक सच्ची घटना बताने … Read more

Nasha Buri Baat, Lagi Di Watt

Nasha Buri Baat, Lagi Di Watt Hey dosto main Raveena, phir se aap logo ke sath. Ye meri dusri kaha ni h .. aur ye mere apni kahani. Main fresh ho ke apne balcony me khadi, subah ki halki thandi hawa me coffee pi rahi thi thabi phone ka reminder ring huwa. Shit ! maine … Read more

छप्पर फाड़ कर-2

छप्पर फाड़ कर-2 मैंने उसके उरोजों को सहलाना शुरू किया। उरोज क्या थे दो रुई के गोले थे। सुगंधा के उरोज तो इसके सामने कुछ भी नहीं थे। मेरा लिंग पजामें में तंबू बना रहा था। मैंने उरोजों को जोर जोर से मसलना शुरू किया तो उसके मुँह से कराह निकली। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं … Read more

एक सफ़र

एक सफ़र प्रेषक : गुल्लू जोशी बस में कोई खास भीड़ तो नहीं थी, पर शाम की बस थी जो रात के दस साढ़े दस बजे। तक इन्दौर पहुंचा देती थी। नौकरीपेश लोगों की यह मन पसन्द बस थी। मैं अपनी मम्मी और पापा के साथ बैठा हुआ था। सीट में तीन ही बैठ सकते … Read more

अंगूर का दाना-3

अंगूर का दाना-3 प्रेम गुरु की कलम से उस रात मुझे और अंगूर को नींद भला कैसे आती दोनों की आँखों में कितने रंगीन सपने जो थे। यह अलग बात थी कि मेरे और उसके सपने जुदा थे। यह साला बांके बिहारी सक्सेना (हमारा पड़ोसी) भी उल्लू की दुम ही है। रात को 12 बजे … Read more