मेरी प्यारी चारू –1
सर्वप्रथम अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
मैं आप सबको अपनी पहली प्रेम गाथा बताना चाहता हूँ। मेरा नाम जगेश है, बात उन दिनों की है जब मैं 12वीं पास करके नए स्कूल में अपनी आगे की पढ़ाई के लिए गया था। मैं आप लोगों को बताना चाहता हूँ कि मैं एक शर्मीला लड़का था, जो हमेशा लड़कियों से बात करने से डरता था। उन दिनों मेरी मुलाकात चारू से हुई।
क्या गजब की काया की स्वामिनी थी वो..! मस्त गोरा बदन, उस पर वो लेज़र स्टाइल के बाल, स्तन तो जैसे उसके एकदम गोल और छोटे थे। कूल्हे थोड़े बाहर की ओर उठे हुए, जो किसी का भी मन मोह लें। मुझे जैसे एक बार देख कर ही प्यार हो गया।
मैंने अपने दोस्त से पूछा- इसका नाम क्या है?
जवाब में वो बोला- इस पर तो पूरा स्कूल फिदा है तू क्या कर लेगा? भूल जा उसे..!
पर मैंने उसकी बात नहीं मानी और बस उससे मन ही मन प्यार करने लगा। धीरे-धीरे मैंने उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया और उससे दोस्ती कर ली।
अब हम अच्छे दोस्त बन गए और दिन भर एक-दूसरे से बातें किया करते थे। मैं सारा दिन उससे बातें करता था, मुझसे बात करना उसे बहुत पसंद था। दिन में पचास बार मैं उसके घर के सामने से निकलता था। स्कूल में ढेर सारी बातें करते।
धीरे-धीरे हम आगे बढ़ने लगे थे। मुझे भी अपने लिंग में कुछ महसूस होने लगा था। कोई कड़कपन सा लगता था, जैसा मुठ्ठ मारते समय होता था।
चारू बहुत तेज लड़की थी, वो कभी आगे रह कर भी मुझसे ऐसी बातें नहीं करती थी, पर मेरा मन बहुत होता था, तो मैं कभी-कभी उससे होंठों पर चुम्बन और गले पर चुम्बन करने की बात कहता था और वो ये सब सुनकर मदमस्त हो जाया करती थी। मेरा भी लिंग कड़क हो जाता था तो मुझे सड़का लगा कर काम चलाना पड़ता था।
एक दिन हम स्कूल में बात कर रहे थे, वो गणेश चतुर्थी का समय था। सब लोग नीचे ग्राउंड में आरती के लिए चले जाते थे। रोज तो हम दोनों ने मिलने की प्लानिंग की, ताकि हम अच्छे से बात कर सकें जब क्लास में कोई ना रहे।
उस दिन मैंने अपने दोस्तों को बोल दिया कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है, तुम लोग नीचे चलो मैं थोड़ी देर में आता हूँ। चारू ने भी यही किया। अब सब नीचे जा चुके थे। तीसरी मंज़िल पर हमारे सिवा कोई नहीं था। बस वो और मैं ही थे। हम दोनों हाथों में हाथ पकड़ कर एक-दूसरे से बातें कर ही रहे थे कि उसने मुझसे कहा- मुझे चुम्बन करो ना.
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मैंने धीरे से उसके गाल पर एक चुम्बन किया। तो वो बोली- मेरे होंठों पर भी..!
फिर क्या था, हम एक-दूसरे के होंठों पर धीरे-धीरे चुम्बन करने लगे। देखते ही देखते कब हम एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे, पता ही नहीं चला। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। साथ में लिंग भी कड़क होने लगा था। फिर मैं धीरे-धीरे उसके गले पर, फेस पर, होंठों पर उसे चुम्बन करने लगा।
वो पागलों की तरह मुझसे लिपटे जा रही थी और बार-बार हम एक-दूसरे को ‘आई लव यू’ बोल रहे थे।
बहुत ही मस्त अहसास हो रहा था, जो मुझे कभी मुठ्ठ मारने में नहीं हुआ। अब मेरे लिंग से कुछ कुछ तरल निकलने लगा था। चुम्बन करते करते मैं धीरे-धीरे उसकी कमर पर हाथ फेर रहा था और वो भी मस्त हुए जा रही थी।
फिर मैं उसे मेज पर बैठा कर उसके पास जाकर उसे प्यार करने लगा। धीरे-धीरे मैं उसके घुटनों पर से होकर उसकी जाँघों पर हाथ फेरने लगा, तो वो कंपकंपाने लगी। फिर हम पागलों के जैसे एक-दूसरे के होंठों को चूमने लगे, पर उस दिन और कुछ संभव नहीं था क्यूंकि हम स्कूल में थे और सब लोग आने वाले ही थे।
तभी चौकीदार आ गया और हम अलग-अलग हो गए, पर हमारा मन नहीं भरा था। हम और प्यार करना चाहते थे जो उस वक्त संभव नहीं हो पाया।
स्कूल के बाद हम घर आ गए और फोन पर बात करने लगे। उसने मुझे बताया कि उसकी पैन्टी पर कुछ गीला-गीला हो रहा था। जब मैं उसे चूम रहा था। उसने बताया कि जब मैंने उसकी जाँघों पर हाथ लगाया था, तो उसे बहुत अच्छा लगा और उसके स्तन भी फूलने लगे थे। फोन पर उससे बात करने के बाद मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मैं उसके साथ चुदाई करने के बारे में सोचने लगा। फिर कभी-कभी हम स्कूल में ही जल्दी पहुँच कर होंठों पर चुम्बन किया करते थे। मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए उसे एक मम्मे पर हाथ फेर देता था, कभी उसके कूल्हों को धीरे-धीरे सहलाता था।
पर मैं इससे भी आगे उसकी पैन्टी में हाथ डालना चाहता था। उसकी ब्रा उतार कर उसके मम्मों को चूसना चाहता था। उसकी कोमल योनि पर अपनी जीभ से प्यार करना चाहता और डरता भी था। पता नहीं उसकी योनि कैसी होगी? वहाँ गन्ध तो नहीं आती होगी। ये सब मैंने ब्लू-फिल्मों में ही देखा था और कोई इस बारे में बात भी नहीं करता था।
अब बस मैं उसके प्यार में खो गया था और उससे बहुत प्यार करना चाहता था। उसके सारे कपड़े उतार कर चूमना चाहता था। अपने लिंग से उसकी योनि को सहलाना चाहता था।
कामदेव ने मेरी सुन ली और बहुत जल्दी मेरी यह इच्छा भी पूरी हो गई, जब मैंने उसे बहुत प्यार किया, उसकी योनि को छुआ उस पर अपने होंठों से प्यार किया।
मैंने कैसे उसे प्यार किया, यह मैं आपको अगली कड़ी में लिखूँगा। तब तक आपको मेरी पहले प्यार की प्यारी सी शुरुआत कैसी लगी? मुझे बताईए, मेरी पहली कहानी को प्रोत्साहन दें, तो मैं अपनी इस कहानी को आपके सामने पूर्ण रूप से प्रस्तुत कर सकूँ।
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