काला हीरा -4
अर्जुन ने विनीत को बीस मिनट तक वैसे ही चोदा फिर वो चरम सीमा पर पहुँच गया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा।
विनीत को ऐसा लगा जैसा अर्जुन का लण्ड उसके पेट में घुस जायेगा। अब बेचारे को ज़ोर का दर्द होने लगा- अर्जुन… प्लीज़ बस… करो… आआह्ह्ह्ह…
अर्जुन ने उसके गिड़गिड़ाने के बीच एक ज़ोर का शॉट मारा- नहीं… ईइह्ह्ह्ह… अर्जुन… दर्द… हो… आह्ह… रहा है…!
‘बस मेरी जान… मेरा झड़ने वाला है।’ अर्जुन चोदते हुए नशीले अंदाज़ में बोला और बस फिर विनीत की गाण्ड में झड़ गया।
झड़ते हुए उसके लण्ड ने विनीत की गाण्ड में फिर फुंफकार मारी, जैसा की झड़ने पर वीर्य की पिचकारी मारते हुए लण्ड फुदकते हैं, और विनीत फिर चिल्लाया- आह हहा… आअह्ह !!
लेकिन उसकी यह आखरी यातना थी, अर्जुन झड़ चुका था।
लेकिन एक बात तो मैंने आपको बताई ही नहीं।
अर्जुन झड़ने बावजूद भी अपने लण्ड को अपने साथी की गाण्ड में घुसेड़े, उसे दबोचे रहता था। झड़ने पर भी छोड़ता नहीं था, उसी तरह दबोचे रहता था जैसे शेर अपने शिकार को दबोचे रहता है। उसका मन होता तो पाँच दस मिनट बाद लड़के को छोड़ देता, नहीं तो फिर चुदाई स्टार्ट कर देता था, अगर उसके लण्ड को और मस्ती करने का मूड होता।
‘अर्जुन… अब तो हो गया… प्लीज़ छोड़ो न…!!’ बेचारे विनीत उसके तगड़े, बलिष्ट शरीर के आगे बेबस था, अर्जुन उसे छोड़ ही नहीं रहा था।
अब विनीत से नहीं रहा गया और वो धप्प से पलँग पर गिर गया। उसने पूरे पैंतालीस मिनट तक एक साण्ड के शरीर को झेला था, और उसके लौड़े को भी। उसके पीछे अर्जुन भी गिर गया, लेकिन उसका लण्ड बाहर आ गया। विनीत ने मौके का फ़ायदा उठाया और फुर्ती से उचक कर पलँग से भागने लगा।
अर्जुन उठ बैठा और विनीत को पकड़ने लगा, बस उसकी टाँग उसके हाथ में आ गई। आप खुद उस नज़ारे की कल्पना की कीजिये- पलँग पर घुटनों के बल खड़ा काला, विशालकाय लड़का एक चिकने सुन्दर, गोर चिट्टे लड़के की टाँग पकड़े। विनीत पलँग पर औंधे मुँह गिरा पड़ा था, उसके हाथ पलँग के एक छोर पर थे, उसकी एक टाँग अर्जुन के हाथ में थी, उसका शरीर पलँग की चौड़ाई नाप रहा था।
अर्जुन ने विनीत को अपने पास घसीट लिया- कहाँ जा रहे हो? मेरे पास आओ!
‘नहीं अर्जुन… प्लीज़ अर्जुन… अब नहीं झेल पाऊँगा।’
विनीत ‘नहीं अर्जुन, प्लीज़ अर्जुन’ करता रह गया और अर्जुन ने उसे ज़बरदस्ती पलँग पर पेट के बल सपाट लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया।
विनीत ने अपना हाथ अपनी गाण्ड पर रख लिया जिससे अर्जुन उसे ज़बरदस्ती न चोद दे।
‘हाथ हटाओ!’ अर्जुन ने आदेश दिया।
‘नहीं…’ विनीत ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, उसके लहज़े में बेबसी और दर्द था, जैसे कोई लड़की ज़बरदस्ती करने पर बेबस होकर मना करती है।
अर्जुन समझ गया की विनीत शराफत से नहीं मानेगा, उसने विनीत का हाथ ज़बरदस्ती हटाया और अपना लण्ड उसकी गाण्ड के मुहाने पर टिका दिया लेकिन विनीत के चूतड़ स्थिर नहीं थे, अर्जुन ने विनीत का हाथ छोड़ कर उसके चूतड़ों को फैलाया जिससे कि वो अपना लण्ड उनमें घुसेड़ सके लेकिन विनीत का हाथ छूटते ही वो फिर गाण्ड पर आ गया और अर्जुन का लण्ड हटा दिया।
अर्जुन को लगा कि बात ऐसे नहीं बनेगी तो उसने अपने दूसरे हाथ से जो विनीत के कन्धे पर था, बढ़ा कर विनीत का हाथ कस कर पकड़ लिया।
विनीत पेट के बल लेटा था और उसके ऊपर अर्जुन लदा हुआ था, वो अपने दूसरे हाथ से कुछ नहीं कर सकता था।
अब अर्जुन ने आराम से विनीत की गाण्ड फैलाई और अपना लण्ड घुसेड़ने लगा लेकिन विनीत अपना छेद कसे हुए था, अब वो किसी भी कीमत पर चुदना नहीं चाहता था।
‘गाण्ड ढीली करो!’
‘नहीं… अब और नहीं… मैं थक गया हूँ… प्लीज़।’ विनीत ने अब सख्ती से मना किया।
‘अगर ढीली नहीं करोगे तो मैं ज़बरदस्ती घुसेड़ दूँगा। गाण्ड फट जाएगी तुम्हारी… फिर मत कहना।’
‘नहीं अर्जुन… प्लीज़ मत करो अब…’ विनीत ने अपने शरीर का ऊपरी हिस्सा उचकाया और गर्दन घुमा कर अर्जुन के आँखों में देख कर गिड़गिड़ाने लगा।
अर्जुन को पता था कि विनीत यूँ ही रिरियाता रहेगा, शराफत से गाण्ड नहीं देगा, उसने अपने लण्ड का छेद विनीत के निचले मुहाने पर टिकाया और ज़बरदस्ती घुसेड़ने लगा।
‘नहीं… नहीं… नहीं… रुक जाओ प्लीज़…’ विनीत चिल्लाया।
‘तो फिर ढीला करो अपना छेद!’ अर्जुन ने धमकाया, उसकी आँखों में बेरहमी थी जैसे कोई ज़ालिम डाकू किसी निरीह कमज़ोर आदमी को लूट रहा हो।
मरता क्या न करता, विनीत ने अपनी गाण्ड उस कामातुर काले दैत्य के लिए ढीली छोड़ दी और बिस्तर पर सर रख दिया, उसे पता था की अर्जुन का लण्ड लम्बा और मोटा होने के साथ साथ पत्थर की तरह सख्त और दमदार भी था।
अर्जुन उसके ऊपर फ़ैल गया और अपना लण्ड सहजवृत्ति से घुसेड़ कर कर अन्दर-बाहर, अन्दर-बाहर करने लगा, विनीत उसके भीमकाय शरीर के तले पूरा सिमट गया, सिर्फ उसकी टाँगें और हाथ बाहर थे। अगर आप पलँग को देखते तो आपको एक भीमकाय काला लड़का पेट के बल लेटा, आपने माँसल, लम्बे, काले-काले हाथ-पाँव पसारे, अपनी कमर उचकाता दिखता। उसके तरबूज़ जितने बड़े-बड़े भुच्च काले चूतड़ और चौड़ी कमर बिस्तर पर गपर-गपर ऊपर-नीचे हो रहे थे, उसका सर बिस्तर में धँसा था, सिर्फ पीछे से उसके फौजी स्टाइल में कटे बाल दिख रहे थे- काले सर के पिछले हिस्से पर छोटे से काले बालों की परत।
‘तुम्हारी इतनी मस्त मुलायम गाण्ड है जानू… थोड़ी देर और चोद लेने दो…’
पलंग झटके खा रहा था और आवाज़ कर रहा था ‘चुक -चुक, चुक-चुक, चुक-चुक !!!’ पलँग की ‘चुक-चुक’ की लय से आप चुदाई की गति का अंदाज़ा लगा सकते थे।
लगभग पंद्रह मिनट तक अर्जुन विनीत को रौंदता रहा, फिर पोज़ बदलने के लिए उठा।
उसके उठते ही विनीत ने उसके पाँव पकड़ लिए- अर्जुन, अब मैं नहीं कर पाऊँगा… तुम्हारे पाँव पकड़ता हूँ… अब बस करो वरना मैं बेहोश हो जाऊँगा… कितनी रात हो गई है।
‘तुम्हारी इतनी मस्त मुलायम गाण्ड है जानू… थोड़ी देर और चोद लेने दो…’ अर्जुन बोला।
उसका लण्ड अभी भी वैसे ही खड़ा था और पत्थर की तरह सख्त था।
लेकिन अब उसे उस बेचारे पर तरस आ गया, विनीत मरियल हो चुका था, उसकी शक्ल देख कर लगता था कि अब गया, तब गया- अर्जुन हलके से मुस्कुरा बोला- ठीक है मेरी जान…
बेचारे विनीत की जान में जान आई, उसने झटपट पजामा और टी शर्ट पहनी, अर्जुन ने भी अपनी टी शर्ट पहन ली और बिस्तर पर लेट गया।
विनीत ने लाइट ऑफ कर दी और अर्जुन के बगल लेट गया, अर्जुन ने उसे अपनी बाहों में ले लिया।
‘मज़ा आया?’ उसने विनीत के साथ गन्दा मज़ाक किया।
‘बड़े ज़ालिम हो… मुझे नहीं पता था कि तुम इतने बड़े राक्षस निकलोगे।’
‘अगर पता होता तो आज मैं तुम्हारी गाण्ड नहीं मार पाता!’
‘चलो… बातें मत बनाओ… मुझे सोने दो… मेरी आधी जान निकल चुकी है।’
अर्जुन की हँसी निकल गई। दोनों एक दूसरे की बाँहों लिपट कर सो गए लेकिन इस काले दैत्य और उस चिकने सुन्दर लड़के के प्यार की यह सिर्फ शुरुआत थी। दोनों यूँ मिलते रहे, जब भी मौका मिलता सेक्स करते, दोनों का प्यार कायम रहा।