कमाल की हसीना हूँ मैं-17

कमाल की हसीना हूँ मैं-17

अचानक उन्होंने अपनी मुठ्ठी में बंद एक खूबसूरत लॉकेट मेरे गले में पहना दिया।

“ये?” मैं उसे देख कर चौंक गई।

“यह तुम्हारे लिये है। हमारी मुहब्बत की एक छोटी सी निशानी !” उन्होंने उस नेकलेस को गले में पहनाते हुए कहा।

“ये छोटी सी है?” मैंने उस नेकलेस को अपने हाथों में लेकर निहारते हुए कहा, “यह तो बहुत महंगा है, फिरोज़ !”

“खूबसूरत जिस्म पर पहनने के लिये गहना भी वैसा ही होना चाहिये। इसकी रौनक तो तुम्हारे गले से लिपट कर बढ़ गई है।”

मैंने उन्हें आगे कुछ बोलने नहीं दिया और अपना गिलास रख कर पीछे घूम कर उनसे लिपट गई और उनके तपते होंठ पर अपने होंठ रख दिये। उन्होंने अपने सिर को झुका कर मेरे दोनों बूब्स के बीच झूल रहे उस लॉकेट को चूमा।

ऐसा करते वक्त उनका मुँह मेरे दोनों मम्मों के बीच धंस गया। मैंने उनके बालों में अपनी उँगलियाँ फ़िराते हुए उनके सिर को अपनी छातियों के बीच दबा दिया।

मैं अपनी एक टाँग को उठा कर उनकी जाँघ पर रगड़ने लगी। मेरी जाँघों पर लगा दोनों के रस का लेप उनकी जाँघ पर भी फ़ैल गया।

मैं उनके लंड को अपने हाथों में लेकर अपनी चूत के ऊपर फिराने लगी। हम दोनों एक दूसरे को मसलते हुए वापस गरम होने लगे।

उन्होंने मुझे किचन की स्लैब पर हाथ रखवा कर सामने की ओर झुकाया और अपने लंड को मेरी रस से चुपड़ी हुई चूत पर लगा कर अंदर कर दिया।

“ऊऊह… क्या कर रहे हो? पूरा दूध मेरे ऊपर उफ़न जायेगा, दूध उबल गया है।” मैंने उन्हें रोकने के इरादे से कहा।

“होने दो कुछ भी… लेकिन अभी इस वक्त मुझे सिर्फ तुम और तुम्हारा यह नशीला जिस्म दिख रहा है। अब मेरा अपने ऊपर काबू नहीं रहा। तुम मुझे इतना पागल कर देती हो कि मुझे और कुछ भी नहीं दिखता।”

अब वो पीछे से धक्के मार रहे थे। उनके हाथ सामने आकर मेरे दोनों मम्मों को आटे की तरह मथ रहे थे।

मैं उनके चोदने के तरीकों पर मर मिटी। उनसे चुदाई करते समय मुझे इतना मज़ा मिल रहा था, जितना मुझे आज तक नहीं मिला था। वो पीछे से जोर-जोर से धक्के मार रहे थे।

पैन में दूध उबल कर उफ़नने लगा। लेकिन हम दोनों को कहाँ फ़ुर्सत थी। मैंने देखा कि दूध उफ़न कर नीचे गिर रहा है। मैंने ये देख कर गैस ऑफ कर दी। क्योंकि इस हालत में कॉफी बनाना कम से कम मेरे बस का तो नहीं था।

मेरा आधा जिस्म किचन स्लैब के ऊपर लगभग लेट सा गया। मेरे खुले बाल चेहरे के चारों ओर फ़ैले हुए थे, इसलिये कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।

मैं अपने आप को संभालने के लिये अपना हाथ स्लैब से हटाती तो उनके जोरदार धक्कों से स्लैब के ऊपर गिरने को होती इसलिये मैंने कुछ भी ना करके सिर्फ मज़ा लेना शुरू किया।

कुछ ही देर में मेरी चूत से रस की धार बह निकली। एक के बाद एक, दो बार झड़ने से मेरा रस जाँघों से बहता हुआ घुटनों तक पहुँच रहा था। वो मुझे जोर-जोर से ठोक रहे थे और मैं उनके हर धक्के पर सामने की ओर झुक रही थी।

काफी देर तक इस तरह मुझे ठोकने के बाद हम अलग हुए तो उन्होंने मुझे उठा कर किचन स्लैब के ऊपर बिठा दिया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख कर मेरी चूत में वापस लंड डाल कर ठोकना शुरू किया।

कभी तो मैं सहारे के लिये अपने हाथों को स्लैब पर रखती तो कभी उनके गले के इर्दगिर्द डाल देती और कभी अपना गिलास लेकर एक-दो घूँट ड्रिंक पीने लगती।

मेरा सिर पीछे की ओर झुक गया था। मैंने उनके होंठों को अपने होंठों में दबा कर काटना शुरू किया। वो कुछ देर तक इसी तरह चोदने के बाद मुझे उसी हालत में लेकर ड्राइंग रूम में आ गये।

मैंने उनके गले में अपनी बाँहों का घेरा डाल रखा था और अपना आधा भरा हुआ व्हिस्की का गिलास भी एक हाथ में पकड़ा हुआ था। उन्होंने मुझे किसी फूल की तरह अपनी गोद में उठा रखा था।

ड्राइंग रूम में सोफ़े के ऊपर मुझे पटक कर अब वो वापस जोर-जोर से ठोकने लगे। समझ में नहीं आ रहा था कि दो बार अपना रस निकालने के बाद भी उनमें कैसे इतना दमखम बचा हुआ है। सोफ़े पर मुझे कुछ देर तक चोदने के बाद वापस मेरी चूत को अपने रस से लबालब भर दिया। उनके लंड से इस बार इतना रस निकला कि चूत के बाहर बहता हुआ सोफ़े के कपड़े को गीला कर दिया था।

मैं भी उनके ही साथ वापस खल्लास हो गई थी। कुछ देर तक वहीं पड़े हुए अपना पैग खत्म करने के बाद मैं वापस उठ कर किचन में गई।

अब मुझ पर व्हिस्की की मदहोशी छाने लगी थी और ऊँची हील के सैंडल में मुझे अपने कदम बहकते हुए से महसूस हो रहे थे। इस बार फिरोज़ भाईजान वहीं सोफ़े पर ही पसरे रह गये थे।

रात के दो बज रहे थे लेकिन हमारे आँखों में नींद का कोई नामो-निशान नहीं था।

मैं उनके लिये कॉफी बना कर ले आई। मैंने देखा कि वो मेरे खाली गिलास में फिर से व्हिस्की भर रहे थे। जब उन्होंने वो गिलास अपने होंठों से लगाया तो मैंने उनसे वो गिलास अपने हाथ में ले लिया।

“आप कॉफी पीजिये… अभी तो आपको बहुत मेहनत करनी है… ड्रिंक पियेंगे तो मेरा साथ नहीं दे पायेंगे।”

फिर वहीं उसी हालत में सोफ़े पर मैं उनकी गोद में बैठ कर व्हिस्की पीने लगी और वो कप से कॉफी पीने लगे। हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुए और सहलाते हुए व्हिस्की और कॉफी सिप कर रहे थे।

“आपको भाभी जान कैसे झेलती होंगी? मेरी तो हालत पतली करके रख दी आपने ! ऐसा लग रहा है कि सारी हड्डियों का कचूमर बना दिया हो आपने !” मैंने उनके होंठों पर लगी झाग को अपनी जीभ से साफ़ करते हुए कहा, “देखो क्या हालत कर के रख दी है”, मैंने अपने गोरे मम्मों पर उभरे लाल नीले निशानों को दिखाते हुए कहा।

“इतनी बुरी तरह मसला है आपने कि कई दिन तक ब्रा पहनना मुश्किल हो जायेगा।” नशे में मेरी आवाज़ भी थोड़ी सी बहकने लगी थी।

फिरोज़ भाई जान ने मेरे मम्मों को चूमते हुए अचानक अपनी दो उँगलियाँ मेरी रस से भरी चूत में घुसा दी। जब उँगलियाँ बाहर निकाली तो दोनों उँगलियाँ से रस चू रहा था। उन्होंने एक उँगली अपने मुँह में रखते हुए दूसरी उँगली मेरी ओर की जिसे मैंने अपने मुँह में डाल लिया, दोनों एक-एक उँगली को चूस कर साफ़ करने लगे।

“मज़ा आ गया आज ! इतना मज़ा सैक्स में मुझे पहले कभी नहीं आया था !”

फिरोज़ भाई जान ने मेरी तारीफ़ करते हुए कहा, “तुम बराबर का साथ देती हो तो सैक्स में मज़ा बहुत आता है। नसरीन तो बस बिस्तर पर पैरों को फैला कर पड़ जाती है, मानो मैं उससे जबरदस्ती कर रहा हूँ।”

“अब आपको कभी उदास होने नहीं दूँगी। जब चाहे मुझे अपनी गोद में खींच लेना… अब तो इस जिस्म पर आपका भी हक बन गया है।”

हम दोनों इसी तरह बातें करते हुए अपनी व्हिस्की और कॉफी सिप करते रहे। उनकी कॉफी खत्म हो जाने के बाद वो उठे।

उन्होंने मुझे अपने गिलास में फिर व्हिस्की डालते हुए देखा तो मुझे रोक दिया, “बहुत पी चुकी हो तुम… बहुत नशा हो गया… और पियोगी तो फिर तबियत बिगड़ जायेगी !” कहते हुए उन्होंने झुक कर मुझे अपनी गोद में ले लिया और मुझे अपनी बाँहों में उठाये बेडरूम की तरफ़ बढ़े।

“मैंने कभी कॉलेज के दिनों में किसी से इश्क नहीं किया था। आज फिर लगता है मैं उन ही दिनों में लौट गई हूँ।” कहते हुए मैंने उनके सीने पर अपने होंठ रख दिये।

उन्होंने मुझे और सख्ती से जकड़ लिया। मेरे मम्मे उनके सीने में पिसे जा रहे थे। मैंने उनके बाँह के मसल्स जो मुझे गोद में उठाने के कारण फूले हुए थे, उसे काटने लगी।

उन्होंने मुझे बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया। फिर वो मेरी बगल में लेट गये और मेरे चेहरे को कुछ देर तक निहारते रहे।

फिर मेरे होंठों पर अपनी उँगली फ़िराते हुए बोले- मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि तुम जैसी कोई हसीना कभी मेरी बाँहों में आयेगी।

कहानी जारी रहेगी।